फ़ैसले में 12 घंटे बाकी थे. फ़ोन पर SMS आया. अयोध्या विवाद पर फ़ैसला आ गया है. मुबारक हो वहां पब बनेगा. सभी पक्ष मान गये हैं. एक जज ने Girl's Hostel बनवाने की सलाह दी थी मगर लड़के-लड़कियों में अंतर ना करते हुए आख़िरकार ज़मीन 'पब' बनाने वाली पार्टी को सोपने का फ़ैसला लिया गया.
60 साल से चले आ रहे इस विवाद पर फ़ैसले के मद्देनज़र देश भर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गये थे. फ़ैसले की ख़बर सुनते ही देश भर में ख़ुशी की लहर दौड़ गई. लेकिन एक बड़े समुदाय ने फ़ैसले की निंदा करते हुए कहा की वह ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. पब में केवल नौजवानो को आने-जाने की छूट देकर कोर्ट ने उनके साथ धोखा किया है.
फ़ैसले के मुताबिक, 18-35 साल के सभी युवक-युवती अपना Identity Card दिखा कर प्रवेश पा सकते हैं. पब के लिए कोई टिकेट नही लगेगा. पब के निर्माण के लिए सारा पैसा प्रदेश की सरकार देगी. यदि ज़रूरत पड़ी तो PM Relief Fund से अधिक से अधिक राशि का प्रबंध किया जाएगा. पब के नाम पर शरारती तत्व लोगों से पैसे ना माँगे इसलिए बल्क SMS और MMS पर रोक 4 October तक बढ़ा दी गयी है. ख़बर सुनकर देश के क़ानून पर मुझे और भी गर्व महसूस हुआ. मैने सभी दोस्तो को msg किया. लेकिन किसी को यक़ीन नहीं हुआ की आज के भारत की सोच इतनी आगे निकल गयी है की अयोध्या जैसी नगरी में पार्टीयां आयोजित करने के मक़सद से इतना भव्य पब बन्ने जा रहा था. जब हर शाम इतने नौजवान एक साथ होंगे तो सोचिए कितने विषयों पर बात होगी. हर धर्म और जाति के युवा नेता इसी पब की गर्भ से निकलेंगे. बल्कि यह कहा जाना चाहिए की प्रेम और दोस्ती के रस में ओत-प्रोत युवाओं के पास धर्म और जाति पर विचार करने का समय ही नहीं होगा. यदि धर्म का भेदभाव नहीं होगा तो सभी युवा एक जुट होकर एक नया भारत बनाने का कार्य करेंगे.
हरिवंश राय बच्चन जी की दो पंक्तियाँ हैं: "मंदिर-मस्जिद बैर बढ़ाते, मेल कराती मधुशाला." दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद यहाँ आने से थकान एक दम दूर हो जाएगी. दूर-दूर से लोग अयोध्या पब में एंजाय करने आएँगे. रास्ते में भी नये दोस्त बनाने का भी अवसर मिलेगा. यह सचमुच एक एतिहसिक फ़ैसला होगा. यही सोचकर मैं मीठी नींद में सो गयी. मग़र अगले दिन जब ऑफिस पहुंची तो फ़ैसला सुनकर कुछ उदास हो गयी. मेरा सपना टूट चुका था. कोर्ट के जज की नज़र में अयोध्या पर किसी पुरुष-महिला से पहले पुरुषोत्त राम का अधिकार था. क़ानून की नज़र में उनका जन्म वहीं हुआ था. वकील ने कहा भगवान राम अयोध्या में ही हैं, लोग ख़ामख़ा उन्हें अपने दिलों में ढ़ूढ़ रहे थे. पता मिलने की ख़ुशी में देश के कई हिन्दू ईद मनाने लगे. ऑफिस में कुछ लोगों ने बधाई देते हुए समोसे बांटे. भूख के चलते इस नशे का हिस्सा में भी बन गयी. सपने आख़िर सपने ही होते हैं...फ़िर वही मंदिर, वही मस्ज़िद...वही चन्दन के टीके से सने माथे, पेशानी पर वही पांच वक्त की नमाज़ की निशानी...जगह चाहे जिसको भी मिले...पब का सपना अधूरा ही रह गया. वैसे सुना है सभी पक्ष उपरी अदालत में जा रहे हैं... काश इस बार 'पब' वाले जीत जायें.
60 साल से चले आ रहे इस विवाद पर फ़ैसले के मद्देनज़र देश भर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गये थे. फ़ैसले की ख़बर सुनते ही देश भर में ख़ुशी की लहर दौड़ गई. लेकिन एक बड़े समुदाय ने फ़ैसले की निंदा करते हुए कहा की वह ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. पब में केवल नौजवानो को आने-जाने की छूट देकर कोर्ट ने उनके साथ धोखा किया है.
फ़ैसले के मुताबिक, 18-35 साल के सभी युवक-युवती अपना Identity Card दिखा कर प्रवेश पा सकते हैं. पब के लिए कोई टिकेट नही लगेगा. पब के निर्माण के लिए सारा पैसा प्रदेश की सरकार देगी. यदि ज़रूरत पड़ी तो PM Relief Fund से अधिक से अधिक राशि का प्रबंध किया जाएगा. पब के नाम पर शरारती तत्व लोगों से पैसे ना माँगे इसलिए बल्क SMS और MMS पर रोक 4 October तक बढ़ा दी गयी है. ख़बर सुनकर देश के क़ानून पर मुझे और भी गर्व महसूस हुआ. मैने सभी दोस्तो को msg किया. लेकिन किसी को यक़ीन नहीं हुआ की आज के भारत की सोच इतनी आगे निकल गयी है की अयोध्या जैसी नगरी में पार्टीयां आयोजित करने के मक़सद से इतना भव्य पब बन्ने जा रहा था. जब हर शाम इतने नौजवान एक साथ होंगे तो सोचिए कितने विषयों पर बात होगी. हर धर्म और जाति के युवा नेता इसी पब की गर्भ से निकलेंगे. बल्कि यह कहा जाना चाहिए की प्रेम और दोस्ती के रस में ओत-प्रोत युवाओं के पास धर्म और जाति पर विचार करने का समय ही नहीं होगा. यदि धर्म का भेदभाव नहीं होगा तो सभी युवा एक जुट होकर एक नया भारत बनाने का कार्य करेंगे.
हरिवंश राय बच्चन जी की दो पंक्तियाँ हैं: "मंदिर-मस्जिद बैर बढ़ाते, मेल कराती मधुशाला." दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद यहाँ आने से थकान एक दम दूर हो जाएगी. दूर-दूर से लोग अयोध्या पब में एंजाय करने आएँगे. रास्ते में भी नये दोस्त बनाने का भी अवसर मिलेगा. यह सचमुच एक एतिहसिक फ़ैसला होगा. यही सोचकर मैं मीठी नींद में सो गयी. मग़र अगले दिन जब ऑफिस पहुंची तो फ़ैसला सुनकर कुछ उदास हो गयी. मेरा सपना टूट चुका था. कोर्ट के जज की नज़र में अयोध्या पर किसी पुरुष-महिला से पहले पुरुषोत्त राम का अधिकार था. क़ानून की नज़र में उनका जन्म वहीं हुआ था. वकील ने कहा भगवान राम अयोध्या में ही हैं, लोग ख़ामख़ा उन्हें अपने दिलों में ढ़ूढ़ रहे थे. पता मिलने की ख़ुशी में देश के कई हिन्दू ईद मनाने लगे. ऑफिस में कुछ लोगों ने बधाई देते हुए समोसे बांटे. भूख के चलते इस नशे का हिस्सा में भी बन गयी. सपने आख़िर सपने ही होते हैं...फ़िर वही मंदिर, वही मस्ज़िद...वही चन्दन के टीके से सने माथे, पेशानी पर वही पांच वक्त की नमाज़ की निशानी...जगह चाहे जिसको भी मिले...पब का सपना अधूरा ही रह गया. वैसे सुना है सभी पक्ष उपरी अदालत में जा रहे हैं... काश इस बार 'पब' वाले जीत जायें.
2 comments:
ये पब्लिक है, ये सब जानती है... ये पब्लिक है, ये पब मांगती है....
बढ़िया आईडिया है...
और तारीफ़ के लिए शुक्रिया जी।
Heere ki taarif main kya karun...aapki lekhni sab bol deti hai
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